William Morris MeT Museum

Wild Jasmine :: Paramita Satpathy

Short Story | Translated from Odia by Snehaprava Das The forest was aflame. It was the second half of May and the temperature hovered around forty-five degrees Celsius. The sky poured out molten heat. Like a thirst-tormented monster the sun sucked up life from every living cell, in man, animal or plant. There was nothing they could do but surrender meekly …

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तारसिया दो अमाराल, आन्त्रोपोफाजिया, १९२९.

गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका

गूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरेथे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम हो गया- छेहर से कुछ केश ही तो बचे हैं जूड़े के जाल में सिमट जाते हैं बड़े आराम से आओ मैं बाल काढ़ दूँ अब तुम्हारे” अपनी बेटी से कहा उसने उसकी सघन …

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