कविता का अनुवाद : सांस्कृतिक साझेदारी का सार्थक सोपान

कविता के अनुवाद का यह अनुभव मेरे लिए अनुवाद की प्रक्रिया को समझने का सृजनात्मक सोपान तो है ही, सांस्कृतिक साझेदारी का भी अनूठा संयोग है।

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हेनरी रूसो, ला बोहेमियन एंदोर्मी, १८९७
कोनो बाईरेई (1844-1895) की कृति

मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ

जानना नीम का पेड़ नहीं जानता कि नीम है उसका नामन पीपल के पेड़ को पता कि वह पीपल है यह तो आदमी है जो जानता है कि उसका नाम …

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तारसिया दो अमाराल, आन्त्रोपोफाजिया, १९२९.

गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका

गूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरेथे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम हो गया- छेहर …

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