कविता का अनुवाद : सांस्कृतिक साझेदारी का सार्थक सोपान

कविता के अनुवाद का यह अनुभव मेरे लिए अनुवाद की प्रक्रिया को समझने का सृजनात्मक सोपान तो है ही, सांस्कृतिक साझेदारी का भी अनूठा संयोग है।

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हेनरी रूसो, ला बोहेमियन एंदोर्मी, १८९७

अब तुम पीछा करते हो मेरा एक डांट की तरह

कुछ मौतें हैं बनी ठनी
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
और कुछ के होते हैं परचम

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तारसिया दो अमाराल, आन्त्रोपोफाजिया, १९२९.

गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका

गूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरेथे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम हो गया- छेहर से कुछ केश ही तो बचे हैं जूड़े के जाल में सिमट जाते हैं बड़े आराम से आओ मैं बाल काढ़ दूँ अब तुम्हारे” अपनी बेटी से कहा उसने उसकी सघन …

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