कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश )
“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा।
कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) Read MoreGENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा।
कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) Read Moreकवि-कथाकार-आलोचक रजत रानी ‘मीनू’ की ‘पिता भी होते हैं मां’ काव्य-कृति का प्रकाशन वर्ष- 2015 है। यह काव्य-कृति कई कारणों से उल्लेखनीय है! इस 184 पृष्ठों की लम्बी काव्य-यात्रा में दलितों की एक ऐसी दुनिया बस्ती है जहां स्त्रियां आज भी झुग्गी-झोपड़ियों/सड़कों पर रहती दोहरें-तिहरें शोषण का शिकार हैं तो दलित पुरुष आज भी स्वराज …
इण्डिया बनाम बहिष्कृत भारत की सच्ची तस्वीर पेश करती रजत रानी ‘मीनू’ की कविताएं – ऋत्विक भारतीय Read MoreA VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON “A shudder in the loins engenders there The broken wall, the burning roof and tower And Agamemnon dead. Being so caught up, So mastered by the brute blood of the air, Did she put on his knowledge with his power …?” – …
A VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON Read Moreषोडशी की षोडशोपचार उपासना ४ जो चला जाता है उसे तो नया भुवन मिल जाता किन्तु जो पीछे रह जाता है उसके पुराने संसार में क्षण क्षण जानेवाले का अभाव खटकता है। ऐसी ही दशा प्रसन्नमयी की हुई। शारदा और ठाकुर के जाने के पश्चात् वह चौका करती और शेष दिन माला फेरती रहती। ठाकुर के आने से जीवन …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ९ Read More“वह एक बड़ी भारी गझिन काली रात थी ,दिन में हरियाले मैदानों की कालिमा, जले हुए मांस के बदबू के साथ जैसे हवा में घुल-मिल गयी थी । लगभग पाँच दिन और रात की थकान भरी यात्रा ,जो हमने स्टेशन वैगन में की थी ,उसके बाद अब ट्रेन रुक गयी थी ,जिसके रुकने का इंतज़ार करते हुए जैसे हमें सदियाँ हो …
आउशवित्ज़ :एक प्रेमकथा -उपन्यास अंश -गरिमा श्रीवास्तव (अप्रकाशित उपन्यास ) Read Moreषोडशी की षोडशोपचार उपासना ३ ब्राह्मणी श्रीमदभागवत की मोटी पोथी खोले ग्यारहवेँ अध्याय का परायण करती बैठे बैठे ठाकुर की प्रतीक्षा कर रही थी। ब्रह्ममुहूर्त हो चला था किन्तु उसके निताई अभी तक जागे नहीं थे। इतने में किवाड़ खुला और शारदा ठाकुर के शयनकक्ष से निकलती उसे दिखाई दी। शारदा के केशों से जल चू रहा था। वह जल …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ८ Read More(तस्वीर- भरत तिवारी) सामने वाली मेज के दूसरी तरफ बैठा अफसर एक ठंडे दिल-दिमाग का इंसान था जो जिंदगी से शायद उकता गया था। यहां तक कि वह यह भूल गया था कि वह जिंदगी से उकताया हुआ है। उसका शरीर किसी मशीन …
‘अनुमति पत्र’ उपन्यास का एक अंश – वैभव सिंह Read Moreसेरिंग वांग्मो धोम्पा सेरिंग वंग्मो धोम्पा के माता पिता को सन् १९५९ में तिब्बत से पलायन करना पड़ा. उनका पालन पोषण धर्मशाला (भारत) व काठमांडू (नेपाल) के तिब्बती समुदायों के मध्य रहते हुए उनकी माता द्वारा किया गया. धोम्पा ने नई दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से बीए और एमए की उपाधियाँ अर्जित कीं, तत्पश्चात एमहर्स्ट के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय से …
सेरिंग वांग्मो धोम्पा- अनुराधा सिंह Read Moreशारदा भाग दो षोडशी की षोडशोपचार उपासना १ “पंचभूतों को बाँधकर बनाई पुतली में अतींद्रिय अनुराग का जन्म कैसे होता है? शरीर के भीतर मन नहीं है। मन के भीतर यह संसार और उस संसार में शरीर है इसलिए तो पंचभूतों की यह पोटली के बिखरने के पश्चात् भी अतींद्रिय अनुराग वैसा ही गाढ़ा और मीठा मन के चूल्हे पर खदकता …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ७ Read More(तस्वीर- भरत तिवारी) एक चनके हुए शीशे सा उस पूरे दिन, जो एक लम्बा दिन था मैं रहा दौड़ता, इधर-उधर, हर कहीं एक चनके हुए शीशे सा आगे से पीछे और पीछे …
कोई रुखसत नहीं होता बिना लौटने का वादा किये- पंखुरी सिन्हा द्वारा विश्व कविता के कुछ अनुवाद Read More