Founded by Sahitya Akademi Awardee poet and writer Anamika, in 2020, Pashyantee is a Bilingual journal, dedicated to the exploration of Samarasya / Equipoise- providing space to undo fixed and gendered gazes and bringing about a space for writing, revisiting, translating, and expanding in an environment of Equipoise.
Within Pashyantee itself, the aim has been to create literary and artistic streams where slow discursive writing, poetry, multi-lingual sensibilities, marginal voices, and an ecological sensitivity can flourish and be cared for.One of Pashyantee’s primary yearnings is to bridge gaps between languages, between Hindi and English, between dialects and regional frameworks, between art forms and their extensions, between reviewing-revisiting and renewing altogether. To share each other’s poetic findings and water gaps that often reach out from within personal narratives transforming
into political and philosophical outtakes.
We publish letters, poems, stories, essays, translations, book reviews, discursive and critical writing, visual and multi-media art, which are realized across a conceptual equipoise / samarasya and make way for the questioning of our own philosophical biases across timelines while crafting as much space for the ‘colloquial’ as there is for the standardized and the formal.
While Pashyantee is home to various authors, genres, and sub-genres, the platform is also dedicated to consistently widening new understandings of gender. The platform offers contributors space to exercise the freedom to disembody traditional notions of gender polarities and write/create from a space where alternate imaginations of structures and ideas can come to breathe.
We welcome submissions year-round in Hindi and English, and you can reach us at pashyanteepoetry@gmail.com for queries, submissions, collaborations or anything else.
पश्यंती साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित, वरिष्ठ कवि एवं लेखिका अनामिका द्वारा 2020 में स्थापित एक द्विभाषी पत्रिका है जो समरसता/समतुल्यता की खोज के लिए समर्पित है-
और जड़वत और लैंगिक पूर्वाग्रही नज़रों को पूर्ववत करने और समतुल्यता के वातावरण में लेखन, पुनरीक्षण, अनुवाद और विस्तार के लिए जगह ढूंढती है।
पश्यंती का उद्देश्य ऐसी साहित्यिक और कलात्मक धाराएँ बनाना है जहाँ धीमी गति से विवेचनात्मक लेखन, कविता, बहुभाषी संवेदनशीलता, सीमांत आवाज़ें और एक पारिस्थितिक संवेदनशीलता संग पनप सके और उसकी देखभाल की जा सके।
पश्यंती की अभिलाषाओं में से एक- भाषाओं के बीच, हिंदी और अंग्रेजी के बीच, बोलियों, क्षेत्रीय ढाँचों, कला रूपों और उनके विस्तार, समीक्षा-पुनरीक्षण और नवीनीकरण के बीच की खाई को पाटने में सक्षम होना है। एक-दूसरे की काव्यात्मक खोजों को साझा करना है जो अक्सर व्यक्तिगत आख्यानों से राजनीतिक और दार्शनिक आउटटेक में बदल जाती है।
हम पत्र, कविताएँ, कहानियाँ, निबंध, अनुवाद, पुस्तक समीक्षाएँ, विचारोत्तेजक और आलोचनात्मक लेखन, दृश्य और मल्टीमीडिया कला प्रकाशित करते हैं, जो एक वैचारिक संतुलन / समास्या के माध्यम से साकार होते हैं और समय-सीमाओं में हमारे अपने दार्शनिक पूर्वाग्रहों पर सवाल उठाने का रास्ता बनाते हैं। मानकीकृत और औपचारिक के लिए जितना संभव है उतना ही ‘बोलचाल’ के लिए भी जगह बनाते हैं। जबकि पश्यंती विभिन्न लेखकों, शैलियों और उप-शैलियों का घर है, यह मंच लिंग की नई समझ को लगातार व्यापक बनाने के लिए भी समर्पित है।
हम हिंदी और अंग्रेजी में साल भर सबमिशन का स्वागत करते हैं, और आप प्रश्नों, सबमिशन, सहयोग या किसी भी अन्य चीज़ के लिए हमसे pashyanteepoetry@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।