एक सच्चे जीवन की उपमा, एक सच्चा जीवन ही हो सकता है : बाबुषा कोहली की कविताएँ
“कविता के शिल्प की नहीं,
मुझसे जीवन के शिल्प की बात करो.””
“कविता के शिल्प की नहीं,
मुझसे जीवन के शिल्प की बात करो.””
‘…will a day of leniency make her a regular visitor?
to shelter her or send her away…’
In a seashell held to the ear
the murmur of a distant ocean…