अपनी मौत के बिस्तर पर
मैं बोलूं या ना बोलूं
इस समाज से करूंगा हमेशा
संघर्ष
GENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
मैं बोलूं या ना बोलूं
इस समाज से करूंगा हमेशा
संघर्ष
“कविता के शिल्प की नहीं,
मुझसे जीवन के शिल्प की बात करो.””
‘…will a day of leniency make her a regular visitor?
to shelter her or send her away…’
In a seashell held to the ear
the murmur of a distant ocean…