आना मेनदीयेता, एल लाबेरिंतो दे ला वीदा, १९८२ आर्ट मायामी
‘ सपनों की सार्वजनिकता ‘ – ऋचा जैन की कविताएँ
…हर समय, आरम्भ से
अपने स्वयं के कोमल, सुकुमार, सुंदर, भव्य जीव के साथ।
GENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
…हर समय, आरम्भ से
अपने स्वयं के कोमल, सुकुमार, सुंदर, भव्य जीव के साथ।