अनिस्का, १९२६, ऑइल ऑन कैनवास, डेविड पेत्रोविच श्टेरेनबर्ग
गोपीकृष्ण गोपेश द्वारा अनूदित ओल्गा मार्कोवा की कहानी ‘ताज़ी हवा का झोंका’
‘‘ताजी, ठंडी हवा का झोंका- यह मिलेगा हमारे बेटे को विरासत में।’’
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