देह का गणित
बहुत सीधा है देह का गणित
दो और दो कभी नहीं होते पांच
कान लगाकर सुनो तो
शीघ्र बता देता
कहाँ लोहा
कहाँ पानी
कहाँ आग
ज्वालामुखी कहाँ
सब कुछ सीधा और साफ़
जैसे धरती
न हो बारिश तो पड़ जातीं दरारें
हो कई दिनों तक लगातार
बह जाता सब –कुछ निशान छोड़े बिना
न शामिल करो मन को तो
बहुत सीधा है देह का गणित
यहाँ दो और दो चार होते ही नहीं
यहाँ सम्पूर्ण हो जाता एक
अधूरे होते दो ,दो छोरों पर
हर बार फेल हो जाती है देह
इस इम्तहान में
हर बार मिलते हैं मन को ही
सबसे ज्यादा अंक जबकि
देखी नहीं कभी उसने
क्षण को भी पलटकर
किताब इस देह की ……
The Body’s Arithmetics
The body’s Arithmetics is quite simple
Two and two never make five
If you listen attentively
It tells at once
Whither steel
Whither fire
Whither volcano
Everything plain and clear
Like earth that cracks
If it rains not
If it rains non stop for many days
Everything is washed away
Without leaving a trace
If you leave the mind out
The body’s Arthmetics is plain
Here two plus two never add to four
Becoming rather an entire one
With two incomplete twos, at two poles
The body always fails in this test
Each time the mind
Gets the maximum marks
Though it never turned
Even for a moment
The pages
Of the body’s book.
अपनी तलाश में
मुझे नहीं पता था एक दिन
मैं अपनी तलाश में
खो दूँगी अपने को ही
खो देता है रख होकर
काग़ज़ अपना आकार
मौन होकर प्रार्थनायें
खो देती हैं शब्द अपने
धीरे –धीरे
रंग सारे जीवन के
बैठ जाते जल की सतह में खामोश
धुले हुये सफ़ेद चेहरे लिये
धीरे –धीरे
जाती खाली नाव
उस पार ….
कुहरे और धुंध से लिपटी हुई
कुहरे और धुंध की ओर …….
In quest of Myself
I didn’t know that one day
I shall lose myself
In my own quest
A piece of paper turning to cinders
Loses its shape
Prayers become mute
And lose their words
All the life’s hues gradually
Sink silently to the depth of water
The slow sailing boat
Carring faces washed white
To the other shore
Dranched in fog and mist
Sailing towards fog
and mist ……
अभिव्यक्ति
लेकर नक्षत्र हाथों में
बजाऊँ मैं करताल की तरह
जिसकी धुन पर नाचे पूरी पृथ्वी
पूरा आसमान
समूची आकाशगंगायें
कि बरसे जल समस्त धाराओं में
प्रेम को कैसे व्यक्त कर सकती हूँ
मैं
इसके सिवाय ……..
Expression
Taking the star in my hands
I’ll play it like a cymbal
On whose tune will dance The whole earth
The full sky
Entire galaxies
So that it may rain in streams
How else can I
Express love.
वे
वे मेरी कलम पर चढ़ कर बैठ गए और
वह-वह लिखवाया जो वे चाहते थे
सबसे पहले उन्होंने पढ़ाया पाठ
देह का
और तरीके समझाए वही
जिससे थे वे ही अवगत
फिर समझाई रिश्तों की परिभाषा
देह जिससे जुड़ी अनिवार्यतः
फिर बताया भूखों की किस्मों के बारे में
उन्हें मिटाने के उन उपायों को
जिन्हें वे ही आजमाते थे
ले गए मुझे पशुओं के बाड़े में
दिखाया पलते-कटते-पकते-खाते और खिलाते
और समझाए नियम
सिखाई तरकीब
रटवा दिए सारे शास्त्र और परिभाषाएं मुहरबंद
उन्होंने सिखाए परिवार चलाने के तरीके
संसार चलाने के रखे खुद तक महफ़ूज़
उन्होंने यात्राएं कीं हमारे जिस्मों की
रौंदा ….. रौंदा …… और रौंदा ….
जब नहीं पहुँच पाए वहां, कहा
सुरंग तेरी आत्मा की किस चाबी से खुलती है
मुझे हंसी आ गई
तब से दोस्तों मैं हँसे जा रही हूँ
क्या आपको मेरा रोना सुनाई दे रहा है?
They
They climbed and sat upon my pen
And made me write whatever they wanted
First they taught me the lessons of the body
And ways with which
Only they were acquainted
Then made me understand
The definition of relationships
To which the body
Was essentially connected
After that they explained the types of hungers
And the means to satisfy them
Which they alone practised
Then took me to animal’s barns
And showed how they were
Reared, slaughtered, cooked, eaten and served
They explained the rules
And taught the strategies
Made me parrot all the Concepts and definitions
Sealed
Taught me devices of running the family
But kept to themselves
The ways of running the world
Secure
They made voyages of our bodies
Which they
Crushed… and crushed… and crushed…
More and more and more
When they failed to reach there, asked
What key opens the tunnel of your soul
I fell a-laughing
Since then friends
I have been laughing incessantly
Can you hear the sound of my wails?
woman -1
जो कभी नहीं बोलते
जो कभी नहीं बोलते
बोलते हैं सबसे ज़्यादा
जिसे तुम ख़ामोशी समझने की भूल करते हो
वह जगह पटी पड़ी है
शब्दों की लाशों से.
Those who speak not
Those who speak not
Speak more than
all
Which you think to be
silence
That space is
occupied
By corpses of words.
2.
‘वे हर बार छोड़ आतीं हैं
अपना चेहरा
उनके बिस्तर पर
सारा दिन बिताती हैं
जिसे ढूढने में
रात खो आतीं हैं .
‘Each time they
Leave their faces
On the beds of their men
The whole day is spend
In quest of that
Which they squandere at
night.’
3.
‘पढ़ते हैं खुद
खुद नतीजे निकलाते हैं
मेरी दीवारों पर क्या कुछ
लिख गए लोग .’
‘Themselves they read
Themselves conclude
What have the people
Etched on my walls.’
4.
‘जैसे हाशिये पर लिख देते हैं
बहुत फालतू शब्द और
कभी नहीं पढ़ते उन्हें
ऐसे ही वह लिखी गयी और
पढी नहीं गयी कभी
जबकि उसी से शुरू हुयी थी
पूरी एक किताब .’
‘Just as written at the marjin
Useless words and
Not to be read again
Thus she is written and yet
Never read
Were as started from her
A complete book.’
5.
‘वह पलटती है रोटी तवे पर
और बदल जाती है पूरी की पूरी दुनिया
खडी रहती है वहीँ की वहीँ
स्त्री
तमाम रोटियां सिंक जाने के बाद भी .’
‘She turns the chapatti on Tawa
And whole world changes
Stands on the same spot
A woman
After making all the chapaties.’
6.
‘तहखानों में तहखाने
सुरंगों में सुरंगें
ये देह भी अजब ताबूत है
ढूंढ लेती हूँ जब ऊपर आने के रास्ते
ये फिर वापस खींच लेती है .’
Dungeons within dungeons
Tunnels within tunnels
This body is a weird tomb
When I find a way out
It pulls me back
again.
7.
एक घोंसला
सांस पर अटका
सांस खिंची
डाल नंगी हो गई.
A nest
Stuck on the breath
I drew the breath
The branch become bare.
8.
Only one poem
‘So much thinner stripes were inside
In so for as were invisible
On atmost blank paper
I write a entire life
Only one poem
Abundant than conscious
existence.’
‘मैं रात के दस मिनट की मलिका हूँ
जब तुम गिडगिडाते हो मेरे सामने
और मैं दया करती हूँ तुम पर
यह दस मिनट का जुगनू
सुबह तक मर जाता है मेरी मुट्ठी में
मेरे घर के पिछवाड़े
मरे हुए जुगनुओं की लाशें हैं.
देह स्वप्न
‘ले गया कपड़े सब मेरे
दूर…..बहुत दूर
काल बहती नदी में
मैं निर्वसना
तट पर
स्वप्न देखती देह का.
Time, in the flowing river
Took away all my clothes
Far … very far …
On the coast
I bare
Seeing dreams of body.
Jaya Jadwani / Raipur