‘अनुमति पत्र’ उपन्यास का एक अंश – वैभव सिंह

                                     (तस्वीर- भरत तिवारी)  सामने वाली मेज के दूसरी तरफ बैठा अफसर एक ठंडे दिल-दिमाग का इंसान था जो जिंदगी से शायद उकता गया था। यहां तक कि वह यह भूल गया था कि वह जिंदगी से उकताया हुआ है। उसका शरीर किसी मशीन …

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प्रेमकहानी भर नहीं है ‘उसने कहा था’: वैभव सिंह

चंद्रधर शर्मा गुलेरी को हिंदी साहित्य में ‘उसने कहा था’ नामक कहानी से अमर ख्याति मिली। गुलेरी जी को जो ख्याति मिली सो मिली, पर हिंदी में अल्पलेखन का फैशन चलाने वालों और कम लिखकर अमर होने का लोभ पालने वालों के लिएगुलेरी जी की यह सफलता किसी महान आदर्श की तरह रही है। ढेरों लेखक मिल जाते हैं जो कहते …

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