नियति, प्रारब्ध और चित्र-कथाएं
यहाँ मैंने गोगी सरोज पाल के चित्रों में कुछ कथा-सूत्र पहचाने जिन्हें मन के शब्द देने का प्रयास किया
है.- पूनम अरोड़ा
GENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
यहाँ मैंने गोगी सरोज पाल के चित्रों में कुछ कथा-सूत्र पहचाने जिन्हें मन के शब्द देने का प्रयास किया
है.- पूनम अरोड़ा
This journal is a soft knock at the door of a citadel. However jammed a door maybe, if left ajar, it arouses expectations. All the great citadels of the world – Faith, Feudalism, Patriarchy, Monarchy, Colonising power of the self-proclaimed Bosses, Marxism, and Market Materialism have had something in them that arouses hope; hope of redemption from miseries; hope also of …
A Soft Knock for a Deeper Awakening : Women’s Collective Read Moreअनेक चर्चित कविता संकलनों के रचयिता अमेरिकी कवि टोनी हॉगलैंड ने “द चेंज” शीर्षक से एक कविता लिख कर एक टेनिस मुकाबले का हवाला देते हुए बगैर सेरेना विलियम्स का नाम लिए आसानी से समझ आने वाले तमाम शब्दों का प्रयोग किया और मुकाबला कर रही “मेरी प्रजाति की गोरी लड़की” के विजयी होने की कामना कर अपनी पक्षधरता और कालों के प्रति …
सेरेना को लेकर गढ़ा जाता नस्लवादी विमर्श – यादवेन्द्र पाण्डेय/ पुस्तक अंश Read Moreनिराला की ये पंक्तियों उपन्यास ‘कालचिती’ की इस इबारत” अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा…हम लोगों का सब खत्म हो रहा है जैसा” का ही पर्याय है जिसे नक्सल प्रभावी क्षेत्रों के जिये जाने वाले वर्तमान जीवन के कई संदर्भों में देखा जा सकता है किंतु अनंत और दीर्घकालिक समस्याओं के संदर्भ में ये पंक्तियाँ उतनी ही सटीक हैं जितना ‘कालचिती’ …
गहन है ये अंध-कारा – निशा नाग की समीक्षा उपन्यास कालचिती पर/लेखक शेखर मल्लिक Read Moreमहाश्वेता देवी की कहानी को उषा गांगुली ने इस तरह से निर्देशित किया है कि वह नाटक और रंगमंच की दुनिया का एक क्लासिक नाटक बन गया है.
उषा गांगुली और उनका रंगकर्म Read More– मनीषा कुलश्रेष्ठ 2011की मई में अपनी इटली यात्रा के दौरान मुझे वेनिस, फ्लोरेंस और मिलान जैसे कला के केंद्र शहरों में नितांत अकेले भटकना एक वरदान ही था. उसी भटकाव में रेनेसां के सुनहरे चरण के कई कलाकारों कीविश्वप्रसिद् कलाकृतियों को देखने का अवसर मिला. माइकल एंजेलो की बनाई पुरुष सौंदर्य के प्रतिमान – सी ‘डेविड‘ और बेसिको …
रंगों में खुलती एक आह : आर्टेमिज़िया Read Moreजीवन की गहरी समझ के साथ काव्य-रचना में प्रवृत्त होने वाली सावित्रीबाई फुले (1831-1897) अपने दो काव्य-संग्रहों के बल पर सृजन के इतिहास में अमर हैं| उनका पहला संग्रह ‘काव्यफुले’ 1854 में तथा दूसरा ‘बावन्नकशी सुबोधरत्नाकर’ 1891 में प्रकाशित हुआ| दोनों ही संग्रह ज्योतिबा फुले से संदर्भित हैं| पहले संग्रह में उन्होंने अपने जीवनसाथी फुले के प्रति प्रेमपूर्वक कृतज्ञता जाहिर …
‘हम नहीं रोनी सूरत वाले’ : सावित्रीबाई फुले की कविताई – बजरंग बिहारी तिवारी Read More28 नवंबर 2013 को मनीष शांडिल्य की एक स्टोरी के साथ बीबीसी हिंदी डॉट कॉम एक
खबर प्रकाशित होती है – रेणु के ‘मैला
आँचल’ की कमली नहीं रहीं ।
बीसवी सदी भारतवर्ष को कई उपलब्धियों से सुषोभित कर गई जिनमें एक थी रवीन्द्रनाथ और महात्मा गांधी के रूप में साहित्य और राजनीति का मणिकांचन योग। प्रसिद्ध निबंधकार कुबेरनाथ राय के षब्दों में कहें तो विष्व इतिहास की अदालत में रवीन्द्रनाथ ने भारत की साहित्यिक महिमा को उपस्थित किया तो महात्मा गांधी ने विष्व इतिहास की अदालत में अपने व्यापक और …
रवीन्द्र और गांधी: साहित्य और राजनीति का मणिकांचन योग: डॉ० श्रीभगवान सिंह Read Moreचंद्रधर शर्मा गुलेरी को हिंदी साहित्य में ‘उसने कहा था’ नामक कहानी से अमर ख्याति मिली। गुलेरी जी को जो ख्याति मिली सो मिली, पर हिंदी में अल्पलेखन का फैशन चलाने वालों और कम लिखकर अमर होने का लोभ पालने वालों के लिएगुलेरी जी की यह सफलता किसी महान आदर्श की तरह रही है। ढेरों लेखक मिल जाते हैं जो कहते …
प्रेमकहानी भर नहीं है ‘उसने कहा था’: वैभव सिंह Read More