C/O Swat Valley By Manisha Kulshrestha

    “My identity is in question here….I don’t overrate my scholarship but yes, I trust my knowledge.  Let people object, let them say that I am an overreacher, let them say that I am the first in the Rishikul, in the lineage of saint Vachkanu to participate in a shastrartha, a hermeneutic debate and  that too with this scholar of repute, …

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Cape of Good Hope- Chandra Mohan

    The shadow of my memory   “… An unreliable shadow of memory”-   Italo Calvino (Tr: William Weaver )    I am the poet, fixing images From the abyss of time Into the canvas of the past Where Myth and History are miscible With the precision and swiftness of A fork-tongued cobra strike.   To retrieve my memory;  I tame an eagle …

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Re-writing Tagore: Translation as Performance – Radha Chakravarty

          In a dramatic sequence towards the end of Rabindranath Tagore’s play “Natir Puja” (1926; translated into English as “The Dancing Girl’s Worship”), the court dancer Srimati is publicly humiliated, forced to perform before the altar where the Buddha was once worshipped, in violation of her faith in Buddhism. But she subverts the situation, casting off her costume and ornaments as …

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यहाँ रोज कुछ बन रहा है — अच्युतानंद मिश्र

       आठवें दशक की कविता की केन्द्रीय संकल्पना क्या है? वह कौन सी दृष्टि या परिकल्पना है, जिसके तहत आठवें दशक की कविता एक नया आयाम रचती है. आठवें दशक की कविता का प्रस्थान आज हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों हो गया है ? आठवें दशक के कवियों और कविताओं से गुजरते हुए ये प्रश्न सहज ही पाठक के अतःकरण …

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Krishna Paul’s Conversations with Chandana Dutta

           On 1 December 2019 Krishna Paul turned 90. I had been interacting with her for a while by then, not only basking in her love and warmth, but having long heartfelt conversations with this amazing woman who shared Joginder Paul with us. A couple of months before her mother’s birthday, on a sudden impulse, the Pauls’ daughter, Sukrita, …

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प्रवीण चन्द्र शर्मा की पाँच कविताएं

      मेरी भूमिका पूर्व निर्धारित है मेरी भूमिका लिख कर रखे हुए हैं मेरे संवाद मुझे केवल इन्हें याद रखना है और इस तरह अदा करना है कि सुनने या देखने वालों को लगे कि- नदी अपनी स्वाभाविक गति से बह रही है आसमान पूरी तरह साफ़ है एक-एक करके – छिटके हुए सारे तारे गिने जा सकते हैं उस …

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बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के नाम पत्र- रजत रानी मीनू

  27 जून 2020, वसुंधरा परमादरणीय बाबा साहब,               मन कर रहा था कि अपको ‘जयभीम’ के साथ संबोधन करूं, तभी याद आया कि आपको अपनी जय-जयकार पसंद नहीं थी. इसलिए आपको ‘नमोबुद्धाय’ कह रही हूं. बाबा साहब, मैं कुछ कहना चाहती हूं, पर किससे कहूं? और कौन सुनेगा मेरी? यदि कोई सुन भी लेगा तो …

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भाषा में बारिश: प्रवीण कुमार की कविताएं

                                                                           चित्र: अतुल               भाषा में बारिश: प्रवीण कुमार की कविताएं (ऐसी होती है कविता में कहानी और कहानी में कविता की बारिश- …

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भूरी झाड़ियां/ पच्चीस छोटी कविताएं – रंजना अरगडे

  सूखी झाड़ियों पर फुर्ररऱ से उड़तीं भूरी चिड़ियाँ गोया सूखी झाड़ियाँ ही हों भूरी चिड़ियाँ  2 क्या रस पाती होंगी भूरी झाड़ियों पर नीली चमकती फूलचुहिया? या ढूँढतीं हैं फूल?  3 भूरी झाड़ियों के आरपार पके खेत दानों भरे क्या कुछ सोचती होंगी भूरी झाड़ियाँ?  4 भूरी झाड़ियों से सटी हरी झाड़ियाँ बीच में है अदृश्य आईना  5 बुढ़ाती देह …

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