A VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON

  A VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON   “A shudder in the loins engenders there The broken wall, the burning roof and tower And Agamemnon dead.    Being so caught up, So mastered by the brute blood of the air, Did she put on his knowledge with his power …?” –        …

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रश्मि भारद्वाज की नयी कविताएँ

कविताएँ: रश्मि भारद्वाज  छूट गयी स्त्रियाँ वे छूट गयी स्त्रियाँ हैं जिनकी देह से पोंछा जा रहा है योद्धाओं का पसीना एक सभ्यता के ख़ात्मे के बाद उनकी रक्तरंजित कोख से मनवांछित नस्ल उगाई जाएगी वे छूट गयी स्त्रियाँ अपने स्वप्न में नदी, समुद्र, पहाड़ लांघती बेतहाशा भागी जा रही हैं उनके गोद मे भूख से बिलबिला रहे शिशु हैं दूध …

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आर्यावर्त सुनो, गुम हुई है एक सभ्यता – वीरू सोनकर की लंबी कविता

लंबी कविता — वीरू सोनकर इतिहास एक कब्रगाह है जहाँ आर्यावर्त अपनी बेईमान चिंताओं के साथ ऊंघ रहा है मैं सबसे पहले जागना चाहता हूँ और देखना चाहता हूँ  कि संविधान का सबसे पहला पृष्ठ क्या अभी भी पढ़ा जा सकता है  या उसके अक्षरों को पूंजीवाद के बदबूदार रुमाल से इतनी ज्यादा बार घिसा जा चुका है  कि वह एक …

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भारतीय स्त्रियों की स्थिति : सैद्धांतिक बहसें एवं सामाजिक यथार्थ — सुप्रिया पाठक

        बीज शब्द:  लोकतंत्र ,पितृसत्ता, जेंडर, नारीवाद, नारीवादी सिद्धांत , स्त्री अध्ययन   लोकतंत्र की संकल्पना मानव समुदाय के सबसे प्रतिष्ठित आविष्कारों में से एक है। यह मनुष्य के जीवन के तरीके को तय करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। साथ ही, यह हमें जनतांत्रिक रचनात्मकता एवं सृजनात्मक प्रतिरोध को अपने जीवन में उतारने का अवसर  भी प्रदान …

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झूठ को सच बनाने की साजिश और चित्रकला -अशोक भौमिक (स्तंभ- 1)

चित्रकला इतिहास में कई चित्र अपने कलात्मक गुणों के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिकता के लिए भी महत्त्वपूर्ण माने जा सकते हैं। ऐसा ही एक चित्र है- ‘पूरब अपनी सम्पदा बर्तानिया को अर्पित कर रहा है‘ जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1778 में अपने लन्दन स्थित, ईस्ट इंडिया हाउस के राजस्व समिति कक्ष के लिए बनवाया था। किसी भी देश …

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चिड़िया जाल में क्यों फंसी? — ऋत्विक भारतीय

आदरणीय अजय नावरिया जी/कंवल भारती साहब! मैं एक दलित बालक, दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी का शोधार्थी बिहार के अपने छोटे से कस्बे में किसी टूटे मकान के पिछवाड़े एक कनात डालकर रहता था और वहीं ढीबरी की जोत जलाकर आप सभी दलित रचनाकारों को पढ़ता हुआ झूमता था. एक नए भविष्य की उम्मीद में जैसे सब दलित आते है मैं भी …

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आइनार गाछ केनो होए ना (आईने के पेड़ क्यों नहीं होते) — रामेश्वर द्विवेदी

कार्यालय में आवेदन पहुँचाने के लिए ट्राम का किराया देकर पिता बाहर निकल गए। दो दिन बाद लौटकर सागर से पूछा तो सागर अवाक। पिता के निकलते ही उसने बैग फेंके और भाग निकला। सपना घोष से मिलने को तो समंदर तैर जाता, हुगली पार करने को न सही मिट्टी का भी कच्चा घड़ा तो न सही, कहाँ कोई फिकर थी। …

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Mothering Poetry : Leena Mahlotra Rao and Antara Rao

सुल्तान अहमद और शतरंज  की बिसात  जिन्हें पिताजी ने घर पर खाने पर बुलाया   जिनके साथ दरियागंज के पार्क में उन्होंने लगातार 3 दिन तक -रातें भी शामिल- शतरंज खेली थी उसमें कौन जीता कौन हारा नहीं मालूम किन्तु यह याद है कि दीदी ने रो रो कर घर सिर पर उठा लिया था जबकि माँ ने अपनी चिंता की …

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Mothering Poetry : Mridula Shukla and Shreyasi Shukla

 माँ ऑफिस और छुट्टी   सीखते हुए हिंदी वर्णमाला उसने लाल पेंसिल से क्रॉस के निशान बना दिए थे अ,फ और स अक्षरों पर आँखों की तरल उदासी छिपानी सीखी नहीं है उसने अब तक   छ और ट पढ़ते हुए मुस्कुराया था उन्हें बाँध दिया था गोल घेरों में ठीक वैसे ही जैसे मुट्ठी में बाँध कर रखना चाहता है …

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In Focus Lakshmi Kannan: कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) — अनामिका

“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा। “पूरा किया न!” “चार्ल्स लैम अच्छे लगते हैं?” “बहुत!” “पर क्यों भला?” “इसलिए कि वे सपनीले हैं!” “आज तो तुम फटापट जवाब दे रही हो! लेरे हंस पड़ी। अच्छा चलो, शेक्सपियर का सरल पाठ पढें!” कल्याणी  की पीठ पर रूलर कसमसा तो रही थी, पर …

In Focus Lakshmi Kannan: कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) — अनामिका Read More