अपनी मौत के बिस्तर पर
मैं बोलूं या ना बोलूं
इस समाज से करूंगा हमेशा
संघर्ष
GENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
मैं बोलूं या ना बोलूं
इस समाज से करूंगा हमेशा
संघर्ष
कविता के अनुवाद का यह अनुभव मेरे लिए अनुवाद की प्रक्रिया को समझने का सृजनात्मक सोपान तो है ही, सांस्कृतिक साझेदारी का भी अनूठा संयोग है।
कविता का अनुवाद : सांस्कृतिक साझेदारी का सार्थक सोपान Read Moreकुछ मौतें हैं बनी ठनी
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
और कुछ के होते हैं परचम
Short Story | Translated from Odia by Snehaprava Das The forest was aflame. It was the second half of May and the temperature hovered around forty-five degrees Celsius. The sky poured out molten heat. Like a thirst-tormented monster the sun sucked up life from every living cell, in man, animal or plant. There was nothing they could do but surrender meekly …
Wild Jasmine :: Paramita Satpathy Read Moreगूँथा हुआ जीवन पके हुए वे छेहर बाल बिखरेथे इधर उधर गुलियाए चेहरे पर हँसकर कहा उसने, “अब मेरे हाथ में समय है बालों का जंजाल कम हो गया- छेहर से कुछ केश ही तो बचे हैं जूड़े के जाल में सिमट जाते हैं बड़े आराम से आओ मैं बाल काढ़ दूँ अब तुम्हारे” अपनी बेटी से कहा उसने उसकी सघन …
गूँथा हुआ जीवन : लक्ष्मी कनन की कविताएँ/अनुवाद – अनामिका Read More‘‘ताजी, ठंडी हवा का झोंका- यह मिलेगा हमारे बेटे को विरासत में।’’
गोपीकृष्ण गोपेश द्वारा अनूदित ओल्गा मार्कोवा की कहानी ‘ताज़ी हवा का झोंका’ Read More“One yellow evening
A just stuck leaf of autumn”
(तस्वीर- भरत तिवारी) एक चनके हुए शीशे सा उस पूरे दिन, जो एक लम्बा दिन था मैं रहा दौड़ता, इधर-उधर, हर कहीं एक चनके हुए शीशे सा आगे से पीछे और पीछे …
कोई रुखसत नहीं होता बिना लौटने का वादा किये- पंखुरी सिन्हा द्वारा विश्व कविता के कुछ अनुवाद Read MoreA candid talk with ace industrialist and Urdu connoisseur Sanjiv Saraf, the founder of the dynamic and revolutionary platform Rekhta, which has become synonymous with the contemporary Urdu world.
Pashyantee Talks: Rekhta founder Sanjiv Saraf in Conversation with Tarika Prabhakar Read More“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा। “पूरा किया न!” “चार्ल्स लैम अच्छे लगते हैं?” “बहुत!” “पर क्यों भला?” “इसलिए कि वे सपनीले हैं!” “आज तो तुम फटापट जवाब दे रही हो! लेरे हंस पड़ी। अच्छा चलो, शेक्सपियर का सरल पाठ पढें!” कल्याणी की पीठ पर रूलर कसमसा तो रही थी, पर …
In Focus Lakshmi Kannan: कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) — अनामिका Read More