कोई रुखसत नहीं होता बिना लौटने का वादा किये- पंखुरी सिन्हा द्वारा विश्व कविता के कुछ अनुवाद

                                                          (तस्वीर- भरत तिवारी)  एक चनके हुए शीशे सा  उस पूरे दिन, जो एक लम्बा दिन था  मैं रहा दौड़ता, इधर-उधर, हर कहीं  एक चनके हुए शीशे सा  आगे से पीछे और पीछे …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ६

  माँमुनि भाग त्रयोदश देवी होने की विधि किसी शास्त्र में नहीं लिखी और यदि लिखी भी होती तो अक्षरज्ञान में निर्बल शारदा उस पोथी को पढ़ नहीं पाती। ब्रह्मा ने जैसे भगवती रति को जन्म दिया, उर्वशी, मेनका, रम्भा, तिलोत्तमा जैसी अप्सराएँ, पद्मिनियाँ और चित्रिणी स्त्रियाँ बनाई वैसे ही धान, जौ, जल और खेत की मिट्टी से माँ अन्नपूर्णा की …

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यम से छीन लाएगी माँ मेरी आत्मा- विशाखा मुलमुले की कविताएँ

(चित्र- सुप्रिया अम्बर)     विशाखा मुलमुले की कविताएँ ‘वरण-भात’ सी हैं, जीवन की साधारण लेकिन बेहद ज़रूरी चीज़ों की ओर आहिस्ते से संकेत करती हुईं, हमारे आसपास घटित हो रही रोज़ की ज़िंदगी को नयी दृष्टि से देखतीं, महसूस करती हुईं जो अक्सर इतनी आम होती हैं कि आँखों के आगे होकर भी छूट जाती हैं। यहाँ एक -एक निवाले …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ४

  खंजनाक्षी अपराह्न होते ही घर आ जाती थी। उस काल और भूगोल में विधवाओं से सौभाग्यवती अधिक बोलचाल नहीं रखती थी। खंजनाक्षी बालविधवा थी किन्तु श्यामसुन्दरीदेवी की परम सखी थी। कैशोर में किसी रोग के कारण उसके नेत्र नष्ट हो चुके थे।वह बंधोपाध्यायों की दूर की सम्बन्धी थी। घर घर जाकर गंगाफल, परोरी, तरोई, कुनरी की लताएं लगा जाती, उनकी …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ३

    चन्द्रामणिदेवी भीत दृष्टि से भीति पर खड़िया से बनी आकृतियाँ देखती रही। गौरी-गणेश मनाती रही कि भोर तक नववधू के काका का मन पलट जाए और वह बहू को यहीं छोड़ जाए। पौ फटते ही नववधू के काका नहाधोकर जाने की तैयारी में घरभर में कोलाहल करने लगे। नववधू को अपना बक्स तैयार करने का आदेश दे दिया। “किन्तु …

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अंततः मैं तुम्हारे पास आया हूं- आर्य भारत की कविताएँ

  युवतम कवि आर्य भारत की कविताओं में हमारे जटिलतम होते जीवन का द्वंद है, प्रेम की टूटन है, धर्म, राजनीति, बाज़ार और समाज के चौतरफ़ा हमलों के बीच अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत युवा स्वप्न हैं। यहाँ शिकस्त की एक निरंतर धुन गूँजती तो है लेकिन वह कवि का स्थायी पलायन नहीं बनती। भाषा और कविता उसे उबार …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- २- अम्बर पाण्डेय

  अर्धरात्रि को भोजन करके घरभर गहरी निद्रा में सो रहा था। गृहस्थी की गिलहरियाँ, मूषक, नाग, बिलोटे, छाजन पर रहनेवाले काक, शुक, कपोत, पीपिलिकाएँ सभी विश्राम कर रहे थे। विषाद में नींद नहीं आती किन्तु चन्द्रामणिदेवी का मन अकल्मष था। चटाई पर पड़ते ही कुछ समय में वह सो जाती थी।  केवल गदाधर जाग रहा था। प्रतिदिन वह तीन बजे …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / पहली किश्त

 सुपरिचित युवा रचनाकार अंबर पाण्डेय  द्वारा लिखित श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास माँमुनि का पश्यंती द्विभाषीय पत्रिका में धारावाहिक रूप से प्रकाशन किया जाएगा। प्रस्तुत है इस उपन्यास की पहली किश्त। (मेरी नानी का  मेरी किताब छपने से पूर्व ही देहान्त हो गया। वह पढ़ने की बहुत शौक़ीन थी। श्रीमाँ शारदा पर यह उपन्यास मैं उन्हीं के लिए लिख …

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मैं रहूँगी तो यहीं इसी धरती पर- सुमन केशरी की कविताएँ

वरिष्ठ कवि, लेखिका सुमन केशरी की कविताएँ मिथक, इतिहास द्वारा उपेक्षित छूट गयी स्त्री-अस्मिता और उसके अनुत्तरित प्रश्नों का आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पुनर्पाठ करती हैं

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