माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ६

  माँमुनि भाग त्रयोदश देवी होने की विधि किसी शास्त्र में नहीं लिखी और यदि लिखी भी होती तो अक्षरज्ञान में निर्बल शारदा उस पोथी को पढ़ नहीं पाती। ब्रह्मा ने जैसे भगवती रति को जन्म दिया, उर्वशी, मेनका, रम्भा, तिलोत्तमा जैसी अप्सराएँ, पद्मिनियाँ और चित्रिणी स्त्रियाँ बनाई वैसे ही धान, जौ, जल और खेत की मिट्टी से माँ अन्नपूर्णा की …

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यम से छीन लाएगी माँ मेरी आत्मा- विशाखा मुलमुले की कविताएँ

(चित्र- सुप्रिया अम्बर)     विशाखा मुलमुले की कविताएँ ‘वरण-भात’ सी हैं, जीवन की साधारण लेकिन बेहद ज़रूरी चीज़ों की ओर आहिस्ते से संकेत करती हुईं, हमारे आसपास घटित हो रही रोज़ की ज़िंदगी को नयी दृष्टि से देखतीं, महसूस करती हुईं जो अक्सर इतनी आम होती हैं कि आँखों के आगे होकर भी छूट जाती हैं। यहाँ एक -एक निवाले …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ५

  माँमुनि भाग एकादश  रात्रिभर शारदा सोई नहीं। ठाकुर को टेरने जाती किंतु आधे मार्ग से लौट आती। गुरुजनों की लज्जा से अन्तत: हारकर किवाड़ लगाकर रात्रिभर बैठी रही किन्तु मन क्या हमारे कहे मार्ग पर चलता है! उठती और किवाड़ खोल कर देखती। ध्यान लगाकर ठाकुर का स्वर सुनने का यत्न करती। पिताजी बिष्णुपुर गए थे और माँ श्यामसुन्दरीदेवी छोटे …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ४

  खंजनाक्षी अपराह्न होते ही घर आ जाती थी। उस काल और भूगोल में विधवाओं से सौभाग्यवती अधिक बोलचाल नहीं रखती थी। खंजनाक्षी बालविधवा थी किन्तु श्यामसुन्दरीदेवी की परम सखी थी। कैशोर में किसी रोग के कारण उसके नेत्र नष्ट हो चुके थे।वह बंधोपाध्यायों की दूर की सम्बन्धी थी। घर घर जाकर गंगाफल, परोरी, तरोई, कुनरी की लताएं लगा जाती, उनकी …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ३

    चन्द्रामणिदेवी भीत दृष्टि से भीति पर खड़िया से बनी आकृतियाँ देखती रही। गौरी-गणेश मनाती रही कि भोर तक नववधू के काका का मन पलट जाए और वह बहू को यहीं छोड़ जाए। पौ फटते ही नववधू के काका नहाधोकर जाने की तैयारी में घरभर में कोलाहल करने लगे। नववधू को अपना बक्स तैयार करने का आदेश दे दिया। “किन्तु …

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झूठ को सच बनाने की साजिश और चित्रकला -अशोक भौमिक (स्तंभ- 1)

चित्रकला इतिहास में कई चित्र अपने कलात्मक गुणों के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिकता के लिए भी महत्त्वपूर्ण माने जा सकते हैं। ऐसा ही एक चित्र है- ‘पूरब अपनी सम्पदा बर्तानिया को अर्पित कर रहा है‘ जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1778 में अपने लन्दन स्थित, ईस्ट इंडिया हाउस के राजस्व समिति कक्ष के लिए बनवाया था। किसी भी देश …

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मध्यकालीन कृषक और कबीर — प्रो. कृष्ण कुमार सिंह

  क्रांतद्रष्टा कवि कबीर की विचारधारा का स्रोत मध्यकाल के मनुष्य के सामाजिक जीवन में निहित है। मध्यकालीन भारतीय समाज की ऐतिहासिक शक्तियों के विश्लेषण के बिना कबीर के साहित्य के अन्तःकरण का उद्घाटन नहीं किया जा सकता है। सामंती ढांचे पर आधारित मध्यकाल के भारतीय साहित्य की बुनियाद किसान थे। वे मुख्य उत्पादन-शक्ति थे। जमींदारी प्रथा भूमि-व्यवस्था का आधार थी। …

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रामायण में शबरी प्रसंग : एक परिचर्चा – राधावल्लभ त्रिपाठी

  शबरी की राम से भेंट का प्रसंग वाल्मीकि रामायण तथा बाद की रामायणों में जिस प्रकार से वर्णित है, उस पर हम चर्चा करेंगे।  यह सीताहरण के बाद का प्रसंग है।  वाल्मीकि रामायण अरण्यकांड के सड़सठवें सर्ग में राम और लक्ष्मण की कबंध से भेंट होती है। कबंध, जो स्थूलशिरा नामक ऋषि के शाप से वह राक्षस बन गया था, …

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Sita — Nandini Sahu

         “And we forget because we must                                                     And not because we will.”                                                                       –Matthew Arnold, ’Absence’ “One feature of modern sensibility is…the idea that what has been forgotten is what forms our character, our personality, our soul.”                                                                –Ian Hacking Forgetting and forgiving, the two eternal qualities of any human being—of Sita in this context—have they not been rather …

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