In Search of Shabari
It is unlikely that Shabari was not victimised in those spectacular ancient environs: for her free-thinking…
In Search of Shabari Read MoreGENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
It is unlikely that Shabari was not victimised in those spectacular ancient environs: for her free-thinking…
In Search of Shabari Read MoreA VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON “A shudder in the loins engenders there The broken wall, the burning roof and tower And Agamemnon dead. Being so caught up, So mastered by the brute blood of the air, Did she put on his knowledge with his power …?” – …
A VINDICATION OF THE MONSTROUS MYSTIQUE : THE TROUBLE WITH PROCREATION, AND FEMINIST JURISPRUDENCE IN AGAMEMNON Read Moreक्रांतद्रष्टा कवि कबीर की विचारधारा का स्रोत मध्यकाल के मनुष्य के सामाजिक जीवन में निहित है। मध्यकालीन भारतीय समाज की ऐतिहासिक शक्तियों के विश्लेषण के बिना कबीर के साहित्य के अन्तःकरण का उद्घाटन नहीं किया जा सकता है। सामंती ढांचे पर आधारित मध्यकाल के भारतीय साहित्य की बुनियाद किसान थे। वे मुख्य उत्पादन-शक्ति थे। जमींदारी प्रथा भूमि-व्यवस्था का आधार थी। …
मध्यकालीन कृषक और कबीर — प्रो. कृष्ण कुमार सिंह Read Moreशबरी की राम से भेंट का प्रसंग वाल्मीकि रामायण तथा बाद की रामायणों में जिस प्रकार से वर्णित है, उस पर हम चर्चा करेंगे। यह सीताहरण के बाद का प्रसंग है। वाल्मीकि रामायण अरण्यकांड के सड़सठवें सर्ग में राम और लक्ष्मण की कबंध से भेंट होती है। कबंध, जो स्थूलशिरा नामक ऋषि के शाप से वह राक्षस बन गया था, …
रामायण में शबरी प्रसंग : एक परिचर्चा – राधावल्लभ त्रिपाठी Read More“And we forget because we must And not because we will.” –Matthew Arnold, ’Absence’ “One feature of modern sensibility is…the idea that what has been forgotten is what forms our character, our personality, our soul.” –Ian Hacking Forgetting and forgiving, the two eternal qualities of any human being—of Sita in this context—have they not been rather …
Sita — Nandini Sahu Read MoreRabindranath
Tagore should be honoured beyond his Bengali heritage and considered through
his worldview, travels and his English writing.
Adiguru Saṃkaracarya (788-820) in his devotional composition Nirvanaṣtakaṃ announces that individual being ‘I’ is Supreme Being ‘Siva’ (Sivoham, Sivoham…), but in his philosophical system, Advaita Vedānta he says that this world is a false superimposition on the pure Supreme Reality. The world is a falsehood (anṛta) and …
Like a City reflected in a Mirror: Absolute Non-Dual Philosophy of Kashmir Trika Śaivism — Dr. Alka Tyagi Read More28 नवंबर 2013 को मनीष शांडिल्य की एक स्टोरी के साथ बीबीसी हिंदी डॉट कॉम एक
खबर प्रकाशित होती है – रेणु के ‘मैला
आँचल’ की कमली नहीं रहीं ।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी को हिंदी साहित्य में ‘उसने कहा था’ नामक कहानी से अमर ख्याति मिली। गुलेरी जी को जो ख्याति मिली सो मिली, पर हिंदी में अल्पलेखन का फैशन चलाने वालों और कम लिखकर अमर होने का लोभ पालने वालों के लिएगुलेरी जी की यह सफलता किसी महान आदर्श की तरह रही है। ढेरों लेखक मिल जाते हैं जो कहते …
प्रेमकहानी भर नहीं है ‘उसने कहा था’: वैभव सिंह Read More