वैधानिक में प्रवेश करता अवैधानिक- रवीन्द्र त्रिपाठी
चंदन पांडे का उपन्यास `वैधानिक गल्प’ आज के भारत के उस पहलू को सामने लाता है जिसमें वैधानिक और अवैधानिक यानी कानूनी और गैरकानूनी के बीच का फर्क मिटता जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो गैरकानूनी को कानूनी जामा पहनाया …
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