अम्बर पांडे की कविताएं

संसार का अंतिम प्रेमी   पत्नी की चिता दाघ देने के पश्चात् वह श्मशान में ही रह गया। गया नहीं घर। संसार श्मशान उसके लिए एक ही थे दोनों। सूतक निवारण हेतु स्नान को ढिग बहती नर्मदा तक नहीं गया वह। कपालक्रिया पूर्व मुण्डन के पश्चात् शीश धोने के लिए भरा मटका रखा रहता है  उसका जल पीए चिताओं के धूम …

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पॉलूशन मॉनिटरिंग — पूनम सिंह

 मैं बड़ी उहापोह की स्थिति में हूँ । तुम्हारा पत्र सामने खुला पड़ा है और मेरी सोच को लकवा मार गया है। ओह ! अमृता ! यह तुमने कितनी जटिल और दारुण स्थिति में डाल दिया है मुझे। तुम्हारे लिए जिन्दगी हमेशा दॉव पर लगाने की चीज रही है। जीत हार को चित्त पट की तरह मुट्ठियों में भुनाती रही हो …

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पाखी — अमिता मिश्र

    यह मेरा घर है  जिसमें मैं रहती हूं तीसरे माले पर है पिछले साल ही बड़ी मुश्किल से इस फ्लैट को खरीदा है पापा अपनी सरकारी नौकरी से रिटायर हुए थे सो उन्होंने मदद कर दी।नहीं तो मेरे बस का कहाँ था ये फ्लैट -स्लैट खरीदना।फ्लैट काफी दिनों से बंद था । किन्ही वृद्ध साइंटिस्ट साहब का था ।जिनका इकलौता …

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सतपुड़ा के जंगलों में — सुरेश ऋतुपर्ण

कहने को तो सारा जीवन ही एक यात्रा है लेकिन इस यात्रा के प्रवाह में जो अन्य अनेक यात्राएं घटित होती रहती हैं उनकी स्मृतियां जीवन को आनंदमयी सार्थकता देती हैं। मैं घुम्मक्कड़ प्रकृति का हूं लेकिन उन अनुभवों को लिखने से कतराता रहता हूं। क्योंकि कई बार लगता है कि इन अनुभवों में क्या कुछ ऐसा विशेष है कि औरों …

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In quest of Myself — Jaya Jadwani

  देह का गणित     बहुत सीधा है देह का गणित दो और दो कभी नहीं होते पांच कान लगाकर सुनो तो शीघ्र बता देता कहाँ लोहा कहाँ पानी कहाँ आग ज्वालामुखी कहाँ सब कुछ सीधा और साफ़ जैसे धरती न हो बारिश तो पड़ जातीं दरारें हो कई दिनों तक लगातार बह जाता सब –कुछ निशान छोड़े बिना न शामिल करो …

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अंजुम शर्मा की कविताएं

  स्वप्न में अनवरत बचपन से एक स्वप्न सालता है मुझे मैं दौड़ता रहता हूँ सपने में अनवरत कभी लगाता हूँ इतनी लंबी छलांग कि पार हो जाती हैं एकसाथ चार गलियाँ न मालूम कहां और किस से भागता हूँ मैं   मैंने हर संघर्ष का सामना शिवालिक की तरह किया है लेकिन यह एक स्वप्न बना देना चाहता है मुझे …

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Letter to My Unborn Daughter — Nandini Sahu

    Tiny limbs smeared with my fresh enflamed blood oozing out of the womb, gushing in fact. I knew. I had lost you.Then and there. Shattered. The sadomasochist burped then, and snored  in a short while, when the maid rushed us to the local hospital. I heard what you never uttered. Ahh heal ‘us’, protect ‘us’, you and me, me …

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अजंता देव की कविताएं

  ताँत की साड़ी मैं बनी हूँ सिर्फ़  मुझे ही पहनने के लिए ब्लाउस ग़ैरज़रूरी है मेरे साथ फिसलती नहीं पर पारदर्शी हूँ मेरे  किनारे मज़बूत हैं ठोक के बुना है जुलाहे ने मुझे पूरा बुनने के बाद थक गया था वह मैं नहीं निकलती हज़ारों मीटर लगातार मेरे रेशे बिखरे रहते हैं धूल के साथ धूल होते हुए । ताँत …

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LISTEN, O FATHER! — Jaya Jadwani

   Most revered father,           Today, I wish to devote my ‘little’ humble and heartfelt subservience to you. I would not have ever been what I am today, if you had not been what you were then.           Let me come to the main point, as you strictly dislike dilly-dallying the dignity of time. Just a few months ago, I happened …

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अनुपम सिंह की कविताएं

       तुम्हारी कठोर प्रत्यञ्चा और मेरी हिरणी का दिल   तुम्हारी अर्ध रात्रि की बातें मेरे सफेद विस्तर को लाल कर देती हैं अतृप्ति कविता को जन्म देती है  मेरी स्त्री को सिर्फ कविता नहीं तृप्ति भी चाहिए   तुम्हारी कठोर सांसे मेरा मछली का कलेजा जिसे पिघलाते हैं तुम्हारे मर्दाने ख्याल अपनी तृप्ति के लिए मैं उत्तेजना में …

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