मैं रहूँगी तो यहीं इसी धरती पर- सुमन केशरी की कविताएँ

वरिष्ठ कवि, लेखिका सुमन केशरी की कविताएँ मिथक, इतिहास द्वारा उपेक्षित छूट गयी स्त्री-अस्मिता और उसके अनुत्तरित प्रश्नों का आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पुनर्पाठ करती हैं

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रश्मि भारद्वाज की नयी कविताएँ

कविताएँ: रश्मि भारद्वाज  छूट गयी स्त्रियाँ वे छूट गयी स्त्रियाँ हैं जिनकी देह से पोंछा जा रहा है योद्धाओं का पसीना एक सभ्यता के ख़ात्मे के बाद उनकी रक्तरंजित कोख …

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आर्यावर्त सुनो, गुम हुई है एक सभ्यता – वीरू सोनकर की लंबी कविता

लंबी कविता — वीरू सोनकर इतिहास एक कब्रगाह है जहाँ आर्यावर्त अपनी बेईमान चिंताओं के साथ ऊंघ रहा है मैं सबसे पहले जागना चाहता हूँ और देखना चाहता हूँ  कि …

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आइनार गाछ केनो होए ना (आईने के पेड़ क्यों नहीं होते) — रामेश्वर द्विवेदी

कार्यालय में आवेदन पहुँचाने के लिए ट्राम का किराया देकर पिता बाहर निकल गए। दो दिन बाद लौटकर सागर से पूछा तो सागर अवाक। पिता के निकलते ही उसने बैग …

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Mothering Poetry : Leena Mahlotra Rao and Antara Rao

सुल्तान अहमद और शतरंज  की बिसात  जिन्हें पिताजी ने घर पर खाने पर बुलाया   जिनके साथ दरियागंज के पार्क में उन्होंने लगातार 3 दिन तक -रातें भी शामिल- शतरंज …

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Mothering Poetry : Mridula Shukla and Shreyasi Shukla

 माँ ऑफिस और छुट्टी   सीखते हुए हिंदी वर्णमाला उसने लाल पेंसिल से क्रॉस के निशान बना दिए थे अ,फ और स अक्षरों पर आँखों की तरल उदासी छिपानी सीखी …

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अम्बर पांडे की कविताएं

संसार का अंतिम प्रेमी   पत्नी की चिता दाघ देने के पश्चात् वह श्मशान में ही रह गया। गया नहीं घर। संसार श्मशान उसके लिए एक ही थे दोनों। सूतक …

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पॉलूशन मॉनिटरिंग — पूनम सिंह

 मैं बड़ी उहापोह की स्थिति में हूँ । तुम्हारा पत्र सामने खुला पड़ा है और मेरी सोच को लकवा मार गया है। ओह ! अमृता ! यह तुमने कितनी जटिल …

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पाखी — अमिता मिश्र

    यह मेरा घर है  जिसमें मैं रहती हूं तीसरे माले पर है पिछले साल ही बड़ी मुश्किल से इस फ्लैट को खरीदा है पापा अपनी सरकारी नौकरी से रिटायर …

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