कहानी : तल-घर

– दीपक शर्मा | उस तल-घर में….जिसकी तहों में उसने कई विस्फोटक शस्त्र छिपा रखे थे…और जिन्हें वहीं रोके रखने के लिए उसे नई तहें बनानी पड़ती थीं ।

कुछ दुहरी, कुछ तिहरी…..

कुछ पाँच-तही, कुछ दस-तही…..

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William Morris MeT Museum

Wild Jasmine :: Paramita Satpathy

Short Story | Translated from Odia by Snehaprava Das The forest was aflame. It was the second half of May and the temperature hovered around forty-five degrees Celsius. The sky poured out molten heat. Like a thirst-tormented monster the sun sucked up life from every living cell, in man, animal or plant. There was nothing they could do but surrender meekly …

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माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / पहली किश्त

 सुपरिचित युवा रचनाकार अंबर पाण्डेय  द्वारा लिखित श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास माँमुनि का पश्यंती द्विभाषीय पत्रिका में धारावाहिक रूप से प्रकाशन किया जाएगा। प्रस्तुत है इस उपन्यास की पहली किश्त। (मेरी नानी का  मेरी किताब छपने से पूर्व ही देहान्त हो गया। वह पढ़ने की बहुत शौक़ीन थी। श्रीमाँ शारदा पर यह उपन्यास मैं उन्हीं के लिए लिख …

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Pashyantee Talks: Rekhta founder Sanjiv Saraf in Conversation with Tarika Prabhakar

A candid talk with ace industrialist and Urdu connoisseur Sanjiv Saraf, the founder of the dynamic and revolutionary platform Rekhta, which has become synonymous with the contemporary Urdu world.

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चिड़िया जाल में क्यों फंसी? — ऋत्विक भारतीय

आदरणीय अजय नावरिया जी/कंवल भारती साहब! मैं एक दलित बालक, दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी का शोधार्थी बिहार के अपने छोटे से कस्बे में किसी टूटे मकान के पिछवाड़े एक कनात डालकर रहता था और वहीं ढीबरी की जोत जलाकर आप सभी दलित रचनाकारों को पढ़ता हुआ झूमता था. एक नए भविष्य की उम्मीद में जैसे सब दलित आते है मैं भी …

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In Focus Lakshmi Kannan: कांच के मोतियों का पर्दा (लक्ष्मी कन्नन के प्रसिद्ध उपन्यास का एक अंश ) — अनामिका

“’एसे ऑफ एलिया’ पर जो होमवर्क दिया था, कर लिया पूरा?” सूजन ओ लेेरे ने कहा। “पूरा किया न!” “चार्ल्स लैम अच्छे लगते हैं?” “बहुत!” “पर क्यों भला?” “इसलिए कि वे सपनीले हैं!” “आज तो तुम फटापट जवाब दे रही हो! लेरे हंस पड़ी। अच्छा चलो, शेक्सपियर का सरल पाठ पढें!” कल्याणी  की पीठ पर रूलर कसमसा तो रही थी, पर …

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Re-writing Tagore: Translation as Performance – Radha Chakravarty

          In a dramatic sequence towards the end of Rabindranath Tagore’s play “Natir Puja” (1926; translated into English as “The Dancing Girl’s Worship”), the court dancer Srimati is publicly humiliated, forced to perform before the altar where the Buddha was once worshipped, in violation of her faith in Buddhism. But she subverts the situation, casting off her costume and ornaments as …

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