Nothing
Over five decades of wear and tear in the process called life, with three children, borne, bred and worried into shape, is bound to leave marks, some visible, some not.
Nothing Read MoreGENDER PERSPECTIVE ON HOME AND THE WORLD
Over five decades of wear and tear in the process called life, with three children, borne, bred and worried into shape, is bound to leave marks, some visible, some not.
Nothing Read More‘‘ताजी, ठंडी हवा का झोंका- यह मिलेगा हमारे बेटे को विरासत में।’’
गोपीकृष्ण गोपेश द्वारा अनूदित ओल्गा मार्कोवा की कहानी ‘ताज़ी हवा का झोंका’ Read Moreषोडशी की षोडशोपचार उपासना ४ जो चला जाता है उसे तो नया भुवन मिल जाता किन्तु जो पीछे रह जाता है उसके पुराने संसार में क्षण क्षण जानेवाले का अभाव खटकता है। ऐसी ही दशा प्रसन्नमयी की हुई। शारदा और ठाकुर के जाने के पश्चात् वह चौका करती और शेष दिन माला फेरती रहती। ठाकुर के आने से जीवन …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ९ Read More“वह एक बड़ी भारी गझिन काली रात थी ,दिन में हरियाले मैदानों की कालिमा, जले हुए मांस के बदबू के साथ जैसे हवा में घुल-मिल गयी थी । लगभग पाँच दिन और रात की थकान भरी यात्रा ,जो हमने स्टेशन वैगन में की थी ,उसके बाद अब ट्रेन रुक गयी थी ,जिसके रुकने का इंतज़ार करते हुए जैसे हमें सदियाँ हो …
आउशवित्ज़ :एक प्रेमकथा -उपन्यास अंश -गरिमा श्रीवास्तव (अप्रकाशित उपन्यास ) Read Moreषोडशी की षोडशोपचार उपासना ३ ब्राह्मणी श्रीमदभागवत की मोटी पोथी खोले ग्यारहवेँ अध्याय का परायण करती बैठे बैठे ठाकुर की प्रतीक्षा कर रही थी। ब्रह्ममुहूर्त हो चला था किन्तु उसके निताई अभी तक जागे नहीं थे। इतने में किवाड़ खुला और शारदा ठाकुर के शयनकक्ष से निकलती उसे दिखाई दी। शारदा के केशों से जल चू रहा था। वह जल …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ८ Read More(तस्वीर- भरत तिवारी) सामने वाली मेज के दूसरी तरफ बैठा अफसर एक ठंडे दिल-दिमाग का इंसान था जो जिंदगी से शायद उकता गया था। यहां तक कि वह यह भूल गया था कि वह जिंदगी से उकताया हुआ है। उसका शरीर किसी मशीन …
‘अनुमति पत्र’ उपन्यास का एक अंश – वैभव सिंह Read Moreशारदा भाग दो षोडशी की षोडशोपचार उपासना १ “पंचभूतों को बाँधकर बनाई पुतली में अतींद्रिय अनुराग का जन्म कैसे होता है? शरीर के भीतर मन नहीं है। मन के भीतर यह संसार और उस संसार में शरीर है इसलिए तो पंचभूतों की यह पोटली के बिखरने के पश्चात् भी अतींद्रिय अनुराग वैसा ही गाढ़ा और मीठा मन के चूल्हे पर खदकता …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ७ Read Moreमाँमुनि भाग त्रयोदश देवी होने की विधि किसी शास्त्र में नहीं लिखी और यदि लिखी भी होती तो अक्षरज्ञान में निर्बल शारदा उस पोथी को पढ़ नहीं पाती। ब्रह्मा ने जैसे भगवती रति को जन्म दिया, उर्वशी, मेनका, रम्भा, तिलोत्तमा जैसी अप्सराएँ, पद्मिनियाँ और चित्रिणी स्त्रियाँ बनाई वैसे ही धान, जौ, जल और खेत की मिट्टी से माँ अन्नपूर्णा की …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ६ Read Moreमाँमुनि भाग एकादश रात्रिभर शारदा सोई नहीं। ठाकुर को टेरने जाती किंतु आधे मार्ग से लौट आती। गुरुजनों की लज्जा से अन्तत: हारकर किवाड़ लगाकर रात्रिभर बैठी रही किन्तु मन क्या हमारे कहे मार्ग पर चलता है! उठती और किवाड़ खोल कर देखती। ध्यान लगाकर ठाकुर का स्वर सुनने का यत्न करती। पिताजी बिष्णुपुर गए थे और माँ श्यामसुन्दरीदेवी छोटे …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ५ Read Moreखंजनाक्षी अपराह्न होते ही घर आ जाती थी। उस काल और भूगोल में विधवाओं से सौभाग्यवती अधिक बोलचाल नहीं रखती थी। खंजनाक्षी बालविधवा थी किन्तु श्यामसुन्दरीदेवी की परम सखी थी। कैशोर में किसी रोग के कारण उसके नेत्र नष्ट हो चुके थे।वह बंधोपाध्यायों की दूर की सम्बन्धी थी। घर घर जाकर गंगाफल, परोरी, तरोई, कुनरी की लताएं लगा जाती, उनकी …
माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ४ Read More