'प्रकृति', 2008, अपर्णा कौर

‘जिंदगी एक हारी हुई लड़ाई तो कतई नहीं’ – चित्रकार अर्पणा कौर की कला यात्रा

अर्पणा कौर कहती हैं, ”सच्ची कला में आपका मन जानी-पहचानी जगह को भी अप्रत्याशित ढंग से देखने का सुख बटोरता है। जानी-पहचानी जगह के बीच यह जो ‘अनजाने’ का अहाता है, वह मेरी कला का प्रांगण है।”

‘जिंदगी एक हारी हुई लड़ाई तो कतई नहीं’ – चित्रकार अर्पणा कौर की कला यात्रा Read More
कोनो बाईरेई (1844-1895) की कृति

मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ

जानना नीम का पेड़ नहीं जानता कि नीम है उसका नामन पीपल के पेड़ को पता कि वह पीपल है यह तो आदमी है जो जानता है कि उसका नाम …

मृत्यु – नींद का नीला फूल है : बाबुषा कोहली की कविताएँ Read More

रेणु की वैचारिक चेतना – शिवदयाल

इतना स्पंदित जीवन! इसी की गूँज, इसी की थरथराहट उनकी रचनाओं में लरज रही है। उनकी रचनाआ में जो लालित्य है – स्थानिकता का, ’लोकल’ का, वह उनके जीवन का ही है, स्वयं उनका जिया हुआ! 

रेणु की वैचारिक चेतना – शिवदयाल Read More
अनिस्का, १९२६, ऑइल ऑन कैनवास, डेविड पेत्रोविच श्टेरेनबर्ग

मैला आँचल : लिंग-भेदी नैतिकता की सर्जनात्मक आलोचना – विनोद तिवारी

28 नवंबर 2013 को मनीष शांडिल्य की एक स्टोरी के साथ बीबीसी हिंदी डॉट कॉम एक
खबर प्रकाशित होती है –  रेणु के ‘मैला
आँचल’ की कमली नहीं रहीं ।

मैला आँचल : लिंग-भेदी नैतिकता की सर्जनात्मक आलोचना – विनोद तिवारी Read More