In quest of Myself — Jaya Jadwani

  देह का गणित     बहुत सीधा है देह का गणित दो और दो कभी नहीं होते पांच कान लगाकर सुनो तो शीघ्र बता देता कहाँ लोहा कहाँ पानी कहाँ आग ज्वालामुखी कहाँ सब कुछ सीधा और साफ़ जैसे धरती न हो बारिश तो पड़ जातीं दरारें हो कई दिनों तक लगातार बह जाता सब –कुछ निशान छोड़े बिना न शामिल करो …

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