अनुपम सिंह की कविताएं
तुम्हारी कठोर प्रत्यञ्चा और मेरी हिरणी का दिल तुम्हारी अर्ध रात्रि की बातें मेरे सफेद विस्तर को लाल कर देती हैं अतृप्ति कविता को जन्म देती है मेरी स्त्री को सिर्फ कविता नहीं तृप्ति भी चाहिए तुम्हारी कठोर सांसे मेरा मछली का कलेजा जिसे पिघलाते हैं तुम्हारे मर्दाने ख्याल अपनी तृप्ति के लिए मैं उत्तेजना में …
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