आइनार गाछ केनो होए ना (आईने के पेड़ क्यों नहीं होते) — रामेश्वर द्विवेदी

कार्यालय में आवेदन पहुँचाने के लिए ट्राम का किराया देकर पिता बाहर निकल गए। दो दिन बाद लौटकर सागर से पूछा तो सागर अवाक। पिता के निकलते ही उसने बैग फेंके और भाग निकला। सपना घोष से मिलने को तो समंदर तैर जाता, हुगली पार करने को न सही मिट्टी का भी कच्चा घड़ा तो न सही, कहाँ कोई फिकर थी। …

आइनार गाछ केनो होए ना (आईने के पेड़ क्यों नहीं होते) — रामेश्वर द्विवेदी Read More