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कहानी : तल-घर

– दीपक शर्मा | उस तल-घर में….जिसकी तहों में उसने कई विस्फोटक शस्त्र छिपा रखे थे…और जिन्हें वहीं रोके रखने के लिए उसे नई तहें बनानी पड़ती थीं ।

कुछ दुहरी, कुछ तिहरी…..

कुछ पाँच-तही, कुछ दस-तही…..

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कविता का अनुवाद : सांस्कृतिक साझेदारी का सार्थक सोपान

कविता के अनुवाद का यह अनुभव मेरे लिए अनुवाद की प्रक्रिया को समझने का सृजनात्मक सोपान तो है ही, सांस्कृतिक साझेदारी का भी अनूठा संयोग है।

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'प्रकृति', 2008, अपर्णा कौर

‘जिंदगी एक हारी हुई लड़ाई तो कतई नहीं’ – चित्रकार अर्पणा कौर की कला यात्रा

अर्पणा कौर कहती हैं, ”सच्ची कला में आपका मन जानी-पहचानी जगह को भी अप्रत्याशित ढंग से देखने का सुख बटोरता है। जानी-पहचानी जगह के बीच यह जो ‘अनजाने’ का अहाता है, वह मेरी कला का प्रांगण है।”

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हेनरी रूसो, ला बोहेमियन एंदोर्मी, १८९७

अब तुम पीछा करते हो मेरा एक डांट की तरह

कुछ मौतें हैं बनी ठनी
नफ़ासत से तह की हुई तितलियाँ
और कुछ के होते हैं परचम

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