
अम्बर पांडे की कविताएं
संसार का अंतिम प्रेमी पत्नी की चिता दाघ देने के पश्चात् वह श्मशान में ही रह गया। गया नहीं घर। संसार श्मशान उसके लिए एक ही थे दोनों। सूतक निवारण हेतु स्नान को ढिग बहती नर्मदा तक नहीं गया वह। कपालक्रिया पूर्व मुण्डन के पश्चात् शीश धोने के लिए भरा मटका रखा रहता है उसका जल पीए चिताओं के धूम …
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