रामायण में शबरी प्रसंग : एक परिचर्चा – राधावल्लभ त्रिपाठी

  शबरी की राम से भेंट का प्रसंग वाल्मीकि रामायण तथा बाद की रामायणों में जिस प्रकार से वर्णित है, उस पर हम चर्चा करेंगे।  यह सीताहरण के बाद का प्रसंग है।  वाल्मीकि रामायण अरण्यकांड के सड़सठवें सर्ग में राम और लक्ष्मण की कबंध से भेंट होती है। कबंध, जो स्थूलशिरा नामक ऋषि के शाप से वह राक्षस बन गया था, …

रामायण में शबरी प्रसंग : एक परिचर्चा – राधावल्लभ त्रिपाठी Read More

पूरे चाँद की ओर — रश्मि रावत

                      पूरे चाँद की ओर      ‘एक इंच मुस्कान’ (1962) के प्रकाशन के साथ मन्नू भंडारी की उपन्यास-यात्रा का शुभारम्भ होता है। उपन्यास राजेंद्र यादव के साथ मिल कर लिखा गया है इसलिए दोनों ही रचनाकारों की सूची में इसे शामिल किया जा सकता है। रचना के तौर पर इस प्रयोग से आंतरिक अन्विति में भले ही कुछ कमी आई …

पूरे चाँद की ओर — रश्मि रावत Read More

अंजुम शर्मा की कविताएं

  स्वप्न में अनवरत बचपन से एक स्वप्न सालता है मुझे मैं दौड़ता रहता हूँ सपने में अनवरत कभी लगाता हूँ इतनी लंबी छलांग कि पार हो जाती हैं एकसाथ चार गलियाँ न मालूम कहां और किस से भागता हूँ मैं   मैंने हर संघर्ष का सामना शिवालिक की तरह किया है लेकिन यह एक स्वप्न बना देना चाहता है मुझे …

अंजुम शर्मा की कविताएं Read More

Sita — Nandini Sahu

         “And we forget because we must                                                     And not because we will.”                                                                       –Matthew Arnold, ’Absence’ “One feature of modern sensibility is…the idea that what has been forgotten is what forms our character, our personality, our soul.”                                                                –Ian Hacking Forgetting and forgiving, the two eternal qualities of any human being—of Sita in this context—have they not been rather …

Sita — Nandini Sahu Read More

Letter to My Unborn Daughter — Nandini Sahu

    Tiny limbs smeared with my fresh enflamed blood oozing out of the womb, gushing in fact. I knew. I had lost you.Then and there. Shattered. The sadomasochist burped then, and snored  in a short while, when the maid rushed us to the local hospital. I heard what you never uttered. Ahh heal ‘us’, protect ‘us’, you and me, me …

Letter to My Unborn Daughter — Nandini Sahu Read More

अजंता देव की कविताएं

  ताँत की साड़ी मैं बनी हूँ सिर्फ़  मुझे ही पहनने के लिए ब्लाउस ग़ैरज़रूरी है मेरे साथ फिसलती नहीं पर पारदर्शी हूँ मेरे  किनारे मज़बूत हैं ठोक के बुना है जुलाहे ने मुझे पूरा बुनने के बाद थक गया था वह मैं नहीं निकलती हज़ारों मीटर लगातार मेरे रेशे बिखरे रहते हैं धूल के साथ धूल होते हुए । ताँत …

अजंता देव की कविताएं Read More

स्त्री दर्पण — गरिमा श्रीवास्तव

हमारा इतिहास अभिलेखागारों,शोधपत्रों और इधर –उधर बिखरे आख्यानों के टुकड़े –जोड़ –जोड़ कर ही  हमारे सामने आता है। औपनिवेशिक भारत में स्त्री चेतना और जागरण के लिए निरंतर प्रयासरत पत्रिकाओं की  वैचारिक निष्ठाओं का मूल्यांकन  स्त्री –लेखन के विश्रृंखलित इतिहास को मुकम्मल रूप भी प्रदान कर सकता है। यह  कार्य चुनौती पूर्ण  है क्योंकि पुस्तकालयों और अभिलेखागारों में संकलित सामग्री बिखरी …

स्त्री दर्पण — गरिमा श्रीवास्तव Read More

हिन्दी की पहली मौलिक कहानी — महेश दर्पण

    इस कहानी का प्रकाशन ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ में अप्रैल, सन् 1901 में हुआ था। छोटी–सी यह कहानी अपने कथानक और सुगठन के कारण याद रह जाती है। यहां माधवराव सप्रे अपनी पहली कहानी ‘एक पथिक का स्वप्न’ की भाषा और शैली से एकदम अलग ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ के माध्यम से कहानी की एक नयी ज़मीन और सोच की खोज करते …

हिन्दी की पहली मौलिक कहानी — महेश दर्पण Read More

LISTEN, O FATHER! — Jaya Jadwani

   Most revered father,           Today, I wish to devote my ‘little’ humble and heartfelt subservience to you. I would not have ever been what I am today, if you had not been what you were then.           Let me come to the main point, as you strictly dislike dilly-dallying the dignity of time. Just a few months ago, I happened …

LISTEN, O FATHER! — Jaya Jadwani Read More

अनुपम सिंह की कविताएं

       तुम्हारी कठोर प्रत्यञ्चा और मेरी हिरणी का दिल   तुम्हारी अर्ध रात्रि की बातें मेरे सफेद विस्तर को लाल कर देती हैं अतृप्ति कविता को जन्म देती है  मेरी स्त्री को सिर्फ कविता नहीं तृप्ति भी चाहिए   तुम्हारी कठोर सांसे मेरा मछली का कलेजा जिसे पिघलाते हैं तुम्हारे मर्दाने ख्याल अपनी तृप्ति के लिए मैं उत्तेजना में …

अनुपम सिंह की कविताएं Read More