माँमुनि- श्रीमाँ शारदा के जीवन पर आधारित उपन्यास / किश्त- ५
माँमुनि भाग एकादश रात्रिभर शारदा सोई नहीं। ठाकुर को टेरने जाती किंतु आधे मार्ग से लौट आती। गुरुजनों की लज्जा से अन्तत: हारकर किवाड़ लगाकर रात्रिभर बैठी रही किन्तु मन क्या हमारे कहे मार्ग पर चलता है! उठती और किवाड़ खोल कर देखती। ध्यान लगाकर ठाकुर का स्वर सुनने का यत्न करती। पिताजी बिष्णुपुर गए थे और माँ श्यामसुन्दरीदेवी छोटे …
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