‘Dust to Dust’ – Beena E.S’s Poem

Dust to Dust Hush!!!beneath the earth;a profoundly serene haven; the beating heart’s refrain,breath’s vessel,stilled in repose;tenderly parted gazes;withered tresses;decimated tissues;a form so bare;no dawn to break,nor an endless night;nestled in the lap of timeless serenity;afar from the noise,a tranquil refuge. nosy whispers a fading echo,through the cosmic stream;tittle-tattle tales, softened and laudable;in silence, kindness and grace;a requiem that glows;volumes of tranquil …

‘Dust to Dust’ – Beena E.S’s Poem Read More

रेणु की वैचारिक चेतना

इतना स्पंदित जीवन! इसी की गूँज, इसी की थरथराहट उनकी रचनाओं में लरज रही है। उनकी रचनाआ में जो लालित्य है – स्थानिकता का, ’लोकल’ का, वह उनके जीवन का ही है, स्वयं उनका जिया हुआ! 

रेणु की वैचारिक चेतना Read More
अनिस्का, १९२६, ऑइल ऑन कैनवास, डेविड पेत्रोविच श्टेरेनबर्ग

रात को घर जाने से डरता हूँ – मानस भारद्वाज की कविताएँ

रात को घर जाने से डरता हूँमेरी असफलताएं घेर लेती हैं मुझेमेरे घर पेऔर पूछती हैं वो सवालजिनके मेरे पास जवाब नहीं होते असफलताएं मेरे जीवन मेंसबसे सफल रही हैं रात को घर जाने से डरता हूँमेरा बिस्तर मझे जकड लेता हैऔर मेरी नसों में मौजूदनींदों में सूईयाँ चुभा देता है मेरे कमरे में किताबेंअपने पन्ने फडफडा के कहती हैंहम तुझे …

रात को घर जाने से डरता हूँ – मानस भारद्वाज की कविताएँ Read More

इण्डिया बनाम बहिष्कृत भारत की सच्ची तस्वीर पेश करती रजत रानी ‘मीनू’ की कविताएं – ऋत्विक भारतीय

            कवि-कथाकार-आलोचक रजत रानी ‘मीनू’ की ‘पिता भी होते हैं मां’ काव्य-कृति का   प्रकाशन वर्ष- 2015 है। यह काव्य-कृति कई कारणों से उल्लेखनीय है! इस 184 पृष्ठों की लम्बी काव्य-यात्रा में दलितों की एक ऐसी दुनिया बस्ती है जहां स्त्रियां आज भी झुग्गी-झोपड़ियों/सड़कों पर रहती दोहरें-तिहरें शोषण का शिकार हैं तो दलित पुरुष आज भी स्वराज …

इण्डिया बनाम बहिष्कृत भारत की सच्ची तस्वीर पेश करती रजत रानी ‘मीनू’ की कविताएं – ऋत्विक भारतीय Read More