अपनी मौत के बिस्तर पर : चीनी मजदूर कवि सू लिज्ही की कविताएँ/ अनुवाद — सविता पाठक

  30 सितम्बर 2014 को चीन के मशहूर शेनजेन औद्योगिक क्षेत्र में स्थित फॉक्सकोन कंपनी के मज़दूर सू लिज्ही ने काम की नारकीय स्थितियों से तंग आ कर आत्महत्या कर ली। लिज्ही कवितायें लिखते थे। उन्होंने अपनी आत्महत्या से पहले ये कविता लिखी थी–  अपनी मौत के बिस्तर पर मैं फिर से एकबार समंदर देखना चाहता हूं, निहारना चाहता हूं आंसूओं …

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रवीन्द्र और गांधी: साहित्य और राजनीति का मणिकांचन योग: डॉ० श्रीभगवान सिंह

बीसवी सदी भारतवर्ष को कई उपलब्धियों से सुषोभित कर गई जिनमें एक थी रवीन्द्रनाथ और महात्मा गांधी के रूप में साहित्य और राजनीति का मणिकांचन योग। प्रसिद्ध निबंधकार कुबेरनाथ राय के षब्दों में कहें तो विष्व इतिहास की अदालत में रवीन्द्रनाथ ने भारत की साहित्यिक महिमा को उपस्थित किया तो महात्मा गांधी ने विष्व इतिहास की अदालत में अपने व्यापक और …

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प्रेमकहानी भर नहीं है ‘उसने कहा था’: वैभव सिंह

चंद्रधर शर्मा गुलेरी को हिंदी साहित्य में ‘उसने कहा था’ नामक कहानी से अमर ख्याति मिली। गुलेरी जी को जो ख्याति मिली सो मिली, पर हिंदी में अल्पलेखन का फैशन चलाने वालों और कम लिखकर अमर होने का लोभ पालने वालों के लिएगुलेरी जी की यह सफलता किसी महान आदर्श की तरह रही है। ढेरों लेखक मिल जाते हैं जो कहते …

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Ashok Vajpeyi Ashok Vajpeyi a Hindi poet-critic, translator, editor and culture-activist, is a major cultural figure of India. With more than 30 books of poetry, criticism in Hindi English to his credit, he is widely recognised as an outstanding promoter of culture and an innovative institution-builder. Over the years he has worked tirelessly to enhance the mutual awareness and interaction between …

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