भूरी झाड़ियां/ पच्चीस छोटी कविताएं – रंजना अरगडे
सूखी झाड़ियों पर फुर्ररऱ से उड़तीं भूरी चिड़ियाँ गोया सूखी झाड़ियाँ ही हों भूरी चिड़ियाँ 2 क्या रस पाती होंगी भूरी झाड़ियों पर नीली चमकती फूलचुहिया? या ढूँढतीं हैं फूल? 3 भूरी झाड़ियों के आरपार पके खेत दानों भरे क्या कुछ सोचती होंगी भूरी झाड़ियाँ? 4 भूरी झाड़ियों से सटी हरी झाड़ियाँ बीच में है अदृश्य आईना 5 बुढ़ाती देह …
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