POETRY

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अपनी मौत के बिस्तर पर

मैं बोलूं या ना बोलूं           
इस समाज से करूंगा हमेशा
संघर्ष

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‘जिंदगी एक हारी हुई लड़ाई तो कतई नहीं’ – चित्रकार अर्पणा कौर की कला यात्रा

अर्पणा कौर कहती हैं, ”सच्ची कला में आपका मन जानी-पहचानी जगह को भी अप्रत्याशित ढंग से देखने का सुख बटोरता है। जानी-पहचानी जगह के बीच यह जो ‘अनजाने’ का अहाता है, वह मेरी कला का प्रांगण है।”

In Search of Shabari

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